Dr. Madhusoodan Gupta (Plastic Surgeon)

सुषमा हॉस्पिटल मुरादाबाद के प्लास्टिक , कॉस्मेटिक ,बर्न & रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ मधुसूदन गुप्ता ने आज डायबिटिक फुट की बीमारीं ,इसके रोकथाम  एवं उपचार के बारे में बताया.

डायबिटिक फुट अल्सर एक आसान बीमारी लगती है. पर यह एक बहुत गंभीर समस्या है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और आपके पैरों में किसी तरह का कोई घाव या जख्म हो गया यो छाला पड़ गया है तो आप इसे हल्के में बिल्कुल भी न ले. इसे नजरअंदाज करने के जगह पर आप तुरंत plastic surgeon के पास जाएं और इसका उपचार शुरू करवा ले. क्योंकि आपके पैर का यह घाव,छाला या जख्म डायबिटिक फुट अल्सर भी हो सकता है. अगर आप इसका समय रहते इलाज नहीं करवाते हैं तो यह आपके पैर को पूरे तरह से खराब कर सकता  है.

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डायबिटिक फुट अल्सर का सबसे बड़ा कारण है

गर, शर्करा या डायबिटीज का बढ़ना है. जब शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है तो शरीर के हिस्सों में छोटे-मोटे घांव या फुंसी इत्यादि होने लगते हैं. इस समय पैर में भी इस तरह के छोटे घांव होने लगते हैं. जो बहुत गंभीर बन जाते हैं. डायबिटिक फुट अल्सर के लक्षणों में आपके पैरों के स्किन का रंग का बदलना, पैरों में सूनापन और सनसनाहट होना, पैरों में संवेदनशीलता का कम होना, घाव होना, घाव से रिम आना, चलने में पैर दर्द देना आदि शामिल है. लंबे समय से अनियमित डायबिटीज के कारण पैरो में सुन्नीपन ( peripheral neuropathy) का होना इसका मुख्य कारण है . सुन्नीपन के कारण पैरो में लगने वाली छोटी छोटी चोटो का पता नहीं चलता है. और धीरे धीरें ये  अनियमित डायबिटीज के कारण इंफ़ेक्शन का होना और डायबिटिक फुट की बीमारी का रुप लें लेती है. चूंकि डायबिटिक फुट कें मरीज़ को  न्यूरोपैथी के कारण पैर में चलने में दर्द नहीं होता है इसलिए मरीज पैर में ज़ख्म के साथ भी चलता रहता है. और धीरें धीरे ये नौनहीलिंग पुराने ज़ख्म में बदल जाता है और पैर की हड्डियो तक डायबिटिक फुट का इंफ़ेक्शन पहुँच जाता है #DrMadhusoodanGupta #SUSHMAHOSPITAL

रोकथाम के उपाय

सबसे पहले इसके रोकथाम के उपाय को बताएँगे इसमें डायबिटीज की नियमित कंट्रोल एक मुख्य बिंदु है ऐसा करने से आपको इस फुट अल्सर के घाव के इंफेक्शन से दूर रहेंगे और अगर आप इस गंभीर समस्या के शिकार हो गए हैं तो आप जल्द ठीक हो जाएंगे. अपने शुगर को कंट्रोल रखने के लिए आप अपने डाइट पर ध्यान दे डायबिटीज़ की जाँच हर तीन महीने में HbA1C से की जानी चाहिये और हो सके तो HbA1C - 7 से कम ही रहना चाहिये जिससे पैरो में सुन्नीपन पेरिफेरल नियूरोपैथी का होने का ख़तरा काफ़ी कम हो जएगा और पैरो में लगने बाली सारी चोंटो का ज़ल्द पता लग जाएगा एवं इसका इलाज़ समय से किया जा सकेगा

डायबिटिक फुट अल्सर का सबसे अच्छा इलाज है अपने शुगर को कंट्रोल रखना. ऐसा करने से आपको इस फुट अल्सर के घाव के इंफेक्शन से दूर रहेंगे और अगर आप इस गंभीर समस्या के शिकार हो गए हैं तो आप जल्द ठीक हो जाएंगे. अपने शुगर को कंट्रोल रखने के लिए आप अपने डाइट पर ध्यान दे और शुगर कम करने के लिए उचित डाइट ही ले. इसके अलावा इस बीमारी के लक्षण मिलते हीं आप एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले. #apnadoctorapp #onlineappointmentbookapp

ब्लड शुगर का लगातार बढ़ा हुआ रहना कई प्रकार की शारीरिक जटिलताओं का कारण बन सकता है।

इससे न सिर्फ हृदय रोगों और किडनी की समस्या बढ़ने का खतरा हो सकता है, साथ ही गंभीर स्थितियों में इसमें आपके पैर या इसकी उंगलियां काटनी भी पड़ सकती हैं। डायबिटीज की गंभीर स्थिति रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त करने लग जाती है, जिसके कारण कई लोगों में डायबिटिक फुट बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है। इस स्थिति में पैर की उंगलियां और अन्य हिस्सों में रक्त का प्रवाह प्रभावित हो जाता है जिससे वह हिस्से काले पड़कर अल्सर में बदलने लगते हैं। इस स्थिति पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो प्रभावित हिस्से को काटने तक की नौबत आ सकती है।

डॉ. मधुसूदन गुप्ता.

 बताते हैं, डायबिटीज में पैरों को प्रभावित करने वाली यह समस्या, डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण होती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी में अक्सर पैरों की नसों को नुकसान पहुंचने लगता है, इसके कारण अक्सर पैरों में दर्द, झुनझुनी और सुन्नता बनी रहती है। ऐसे लक्षणों पर समय रहते ध्यान देना और इसका इलाज कराना आवश्यक हो जाता है।


डायबिटिक न्यूरोपैथी की समस्या के शिकार लोगों के पैरों पर इसके संकेत दिखने लगते हैं। इसमें पैरों में रक्त का संचार कम हो जाने के कारण वहां की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं जिसके कारण सड़न और घाव हो सकती है। डायबिटिक फुट अल्सर मधुमेह वाले लगभग 20 प्रतिशत रोगियों में देखी जाती है।


पैरों की उंगलियों, तलवे या ऊपरी सतह पर सड़न और घाव होने की स्थिति में सुधार न होने पर प्रभावित हिस्से की सर्जरी करनी होती है जिससे अन्य हिस्से को बचाया जा सके। इस तरह की समस्याओं को जानलेवा भी माना जाता है। सभी डायबिटिक रोगियों को इसके लक्षणों को लेकर गंभीरता बरतनी चाहिए।

शुरुआती स्थिति में पैरों में कालापन होने, उंगलियों में सूजन जैसी स्थिति होने लगती है। इस पर ध्यान न देने से समय के साथ इसमें अल्सर होने का खतरा रहता है। इसमें  पैर से डिस्चार्ज होने लग जाता है। कुछ स्थितियों में यह समस्या तेजी से बढ़ने लगती है और पूरे पैर में भी फैल सकती है। पैरों में काले दाग, फफोले, असामान्य सूजन, जलन, लालिमा, नीले निशान और अजीब गंध जैसे लक्षण डायबिटिक फुट और अल्सर का संकेत माने जाते हैं, जिनपर समय रहते ध्यान देने और उपचार की आवश्यकता होती है।

डायबिटिक फुट के लक्षण.

डायबिटिक फुट के लक्षण दिखते ही plastic surgeon से मिले, दवाइयों की मदद से शुगर लेवल को कंट्रोल करने और संक्रमण के जोखिम को कम करने का प्रयास किया जाता है। पैरों में अल्सर की स्थिति में एंटीबायोटिक्स और इंसुलिन का प्रयोग किया जाता है, हालांकि गंभीर स्थितियों में प्रभावित हिस्से की सर्जरी करके उस हिस्से को निकालना पड़ सकता है। पैरों में संक्रमण बढ़ने की स्थिति में समय पर इलाज न मिल पाने पर संक्रमण के शरीर के अन्य अंगों में फैलने का भी जोखिम रहता है। #apnadoctordoctor #onlineappiontmentbookingapp


Dr Madhusoodan gupta कहते हैं, जिन लोगों को डायबिटिक न्यूरोपैथी की समस्या है उन्हें पैरों के विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। पैरों को गुनगुने पानी और साबुन से धोएं और अच्छी तरह से सुखाना महत्वपूर्ण है, खासकर पंजों के बीच में। पैरों की त्वचा को ठीक से मॉइस्चराइज किया जाना चाहिए। ये दिन में दो से तीन बार जरूर करें। इसके अलावा, नंगे पैर न चलने, सही आकार के जूते पहनने और पैरों को किसी प्रकार की चोट से बचाकर रखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

यदि आपमें डायबिटिक फुट या अल्सर के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, शुरुआती स्थिति में इलाज के माध्यम से संक्रमण के जोखिम को कम करने और गंभीरता से बचाव करना आसान हो जाता है।